Preet Ka Itar (Hindi Song) प्रीत का इतर Poem by S.D. TIWARI

Preet Ka Itar (Hindi Song) प्रीत का इतर

प्रीत का इतर जाने, किसने पठाया।
पीर का डंक उसका हरदम सताया।
मिला जो पीर मुझको, मेरे यार से,
रख लिया दिल में, उसे सम्भाल के
खिल्ली उड़ाके दर्द, दिल को दुखाया।
प्रीत का इतर...
पीर को मैंने फिर, गीतों में ढाल दिया
गीतों को जिंदगी में थोड़ा सा डाल दिया
रोती हुई जिंदगी को रोज रोज गाया।
प्रीत का इतर...
चंपा चमेली मैंने, बागों से चुन लिया
कलेजे के साथ ही परागों को भून लिया
पीर में मिला के भस्म इतर बनाया।
प्रीत का इतर...
आंसू का रंग कैसा, दर्द में जो ढरका
यार को दिखाने लिये, शीशी में रखा
मटके भर भर आँखों ने ढरकाया।
प्रीत का इतर...

Wednesday, July 27, 2016
Topic(s) of this poem: hindi,pain
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 28 July 2016

'पीर को मैंने फिर, गीतों में ढाल दिया' प्रेम के इस रंग (पीड़ा) का भी अपना आनंद है जिसे आपने अपनी इस कविता में बहुत सुंदरता से व्यक्त किया है. धन्यवाद, तिवारी जी.

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