Mujhse Khafa Tu Rehti Hai Poem by milap singh bharmouri

Mujhse Khafa Tu Rehti Hai

मुझसे खफा तू जनाब रहती है




किस लिए मुझसे खफा तू जनाब रहती है
मै नही कहता कुछ भी शराब कहती है

मै तो सरसार मुझे होश कहाँ होता है
तू भी क्यों मुझसे फिर हिजाब रखती है

आज ऐसा किया कल ऐसा किया था तूने
तू तो गलती गलती का हिसाब रखती है

कितने ही टूट गये होते नौजबान यहाँ
एक शराब है जो टूटों को आबाद रखती है

मै तो मदहोश होता हूँ मुझे न रोका करो
तू तो मदहोशी में भी इताब करती है


मिलाप सिंह

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about love and wine
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