मेरी खुशहाली के लिए.. Meri Khushhali Ke Liye Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

मेरी खुशहाली के लिए.. Meri Khushhali Ke Liye

मेरी खुशहाली के लिए

सितारों के बीच चमकती एक रात हो
मेरे दिल की धड़कती बात हो
कमजोरी नहीं बल्कि ताकत हो तुम
शान मेरे दिल की और सौगाद हो तुम।

तुम उदास हो तो मायूस है हम!
दूर तुम हो फिर भी पास है हम
दील कहता रहता है 'मेरे गुलशन का फूल हो'
जब भी गुलदस्ता देखता हूँ तो नजर आती हो तुम।

चाहत पर मेरा काबू नहीं
पर इतना भी बेकाबू नहीं
तुम जानती हो मुझे सम्हालना
बस ना लाओ ओछा मन में और करो तुलना।

में चाहता हु तुम्हे हे अपने पास रखूं
दिल का आइना बनाकर सांस लेलूं
इस से में भी तुम्हारे दिल ka हार बन जाऊंगा
अपनी हसरत भरी निगाहों से देख भी पाउँगा।

तुम बेगुनाह और मेरी मंज़िल हो
पर दिल से दूर और ओझल सी हो
में ढूंढता रहता हूँ दिल को तसल्ली देते हुए
तुम भी तो साथ दे दो मेरी खुशहाली के लिए?

Saturday, October 18, 2014
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 19 October 2014

welcome JaiRam Tiwari Just now · Unlike · 1

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Mehta Hasmukh Amathalal 18 October 2014

Ronabelle Salvador likes this. Hasmukh Mehta welcome Just now · Unlike · 1

0 0 Reply
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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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