मेरे ही दिलका मतवाला Mere Hi Dilka Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

मेरे ही दिलका मतवाला Mere Hi Dilka

Rating: 5.0

मेरे ही दिलका मतवाला

वो कौन है, वो कौन है?
जो मेरे दिल को भाया
मैंने जब भी उस को पुकारा
मेरे सामने ही पाया

सवेरे वो चमकता है
दुनियाको को भी चमकाता है
वो मेरा सूरज है तपता हुआ
कितने दिनो के बाद मेरा हुआ

मेरी तपस्या और गहरी लगन
सफल हो गयी और आकर गयी मगन
में देखू उजाला और तपता हुआ
सूरज भी अब जैसे मेरा हुआ

वो तो है सब का पथदर्शक
में तो रह ही जाऊ महक महक
उसकी एक झलक मुझे पावन कर देती है
हवाके झोंकों से मुग्ध कर देती है

आंखे में मिला सकती नहीं
और इच्छाओ को रोक सकती नहीं
भले दुनिया का वो भला करता रहे
मेरे मंन की मुरादों को, धीरेसे सुनता रहे

पवन, वायु, समीर चलते है तेरे से
में फिर क्यों रहू पीछे तेरे से
जगत का तू है रखवाला
मेरे दिल का, मेरे ही दिलका मतवाला

COMMENTS OF THE POEM
Shraddha The Poetess 06 September 2013

vry nice...poem........ sir i invite u to read my poems also as ur comments will hlp m to improove.. specially my hindi poetry............

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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