मैं अकेला हूँ, मैं तो तनहा हूँ (Mai Akela Hu, Main Too Tanha Hu) Poem by Nirvaan Babbar

मैं अकेला हूँ, मैं तो तनहा हूँ (Mai Akela Hu, Main Too Tanha Hu)

दो घडी, बैठ, मेरे पास, मैं अकेला हूँ,
मेरे दर पे, बहुत है भीड़, तो भी तनहा हूँ,
ज़मी से आसमा तलक मैं, बस अकेला हूँ,
दिल की घहराइयों मैं भी, मैं तो तनहा हूँ,

सरहदें दिल की, बड़ी बाढ़ से ढकीं उनकी,
कैसे तोड़ेंगे वो, दिवार, मैं अकेला हूँ,

साथ मिल जाता, मुझे तेरा तो, नवाज़िश होती,
ना मिला साथ, तेरा यार, मैं तो तनहा हूँ,

रूह मैं मेरे, घुल जाती, जो, तू ख़ुदा बन कर, तो ईनायत होती,
ना मिला प्यार, तेरा - इश्क़, मैं अकेला हूँ,

हर ख़ुशी मेरी, बन जाती, हर ख़ुशी - से - बड़ी,
मगर ये, हो ना सका, क्यूँ...... मैं जो, तनहा हूँ,

मेरे सीने मैं, तेरा दिल जो, ठहर जाता, मेरे सीने मैं, लहराती, तब धड़कन तेरी,
ना हुआ ऐसा, क्यूँ, ना ऐसा, मैं अकेला हूँ,

निर्वान बब्बर

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Saturday, March 22, 2014
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