(kahani) - गो हत्या Poem by Prabodh Soni

(kahani) - गो हत्या

'माँ श्यामा आज फिर घर के अन्दर घुस गयी, आज फिर उसने आँगन में गोवर कर दिया ' - चिल्लाते हुए मै अन्दर कमरे की तरफ भागा. जहाँ माँ लोकी काट रही थी सब्जी बनाने के लिए.

' रुक बेटा में आती हूँ ' माँ हाथ में थोड़ी घांस लेकर बाहर निकली जो आज ही बगीचे में से सफाई करते समय निकली थी. माँ हाथो में घांस और खरपतवार लिए हाथ आगे बढ़ाते हुए उसे बाहर ले गयी जिसके पीछे पीछे श्यामा भी बाहर चली गयी.

वेसे तो माँ सबसे बहुत प्यार करती थी हमसे, पेड़, पोधों से जो बगीचे में लगे थे और आवारा पशुओं से भी जो गली में घूमते रहते और माँ को देखते ही उन्के आस पास इकठ्ठे हो जाते, ताकि कुछ मिल जाये खाने को पर श्यामा जो एक श्याम वर्ण बछिया थी उससे उन्हें कुछ ज्यादा ही लगाव था बाकि सबको को वो भले ही डंडे से दुत्कार देती पर उसे कभी हाथ से ना मारती थी. यही कारन था की मौका मिलते हि श्यामा घर के अन्दर तक घुस जाती और गंदगी फेला देती थी, वेसे मुझे भी वो बहुत प्रिय थी पर कभी कभी वो मुझे डरा देती थी.

धीरे धीरे ऐसे ही समय गुजरता गया. कुछ साल बीत गये अब श्यामा बड़ी हो चुकी थी में भी थोडा बड़ा हो गया था. श्यामा अब बियाने वाली थी. वो अक्सर मकान के पास बने घूरे पर ही बेठी रहती थी. माँ उसकी बहुत सेवा करती और उसके खाने पिने का ख्याल रखती.

आज जब में स्कूल से आया तो घर के पास लोगो का जमावड़ा लगा हुआ था पास वाले घूरे को घेरे सभी लोग खड़े थे. में भी जेसे तेसे उस भीड़ में घुस गया, माँ रो रही थी पास ही एक नन्ही सी बचिया बैठी माँ माँ चिल्ला रही थी अभी भी वो गीली थी कुछ चिपचिपा पदार्थ उसपे लगा था,
श्यामा जिसके पास माँ बैठी थी वो फूल गयी थी उसका पेट गुबारे जैसा हो गया था उसके प्राण पखेरू उड़ चुके थे पर कारन किसी को पता नही था कुछ कह रहे थे बच्चा देते वख्त मर गयी कुछ कह रहे थे उसे किसी ने कुछ खिला दिए

पशु चिकित्सालय वाले भी आ चुके थे एक ठेले पर रख कर गाँव वालो ने उसे चिकत्सालय तक पंहुचा दिया. जहाँ पोस्ट मार्टम किया गया तो मालुम चला उसके आँतो में पन्नियो का गुच्छा फसा हुआ था. पिचले पांच महीनो में ये छठा केस था जब कोई जानवर पन्नी खाने से मारा गया था
घर पंहुचा तो मुझे उस घूरे से घिन हो रही थी जहाँ लोग पन्नियो सहित भोजन फल सब्जी कचरा सब फेक देते थे और उससे खा कर श्यामा मर गयी थी,

छोटी सी बछिया जो अब अपने दम पर जेसे तेसे खड़ी हो रही थी माँ माँ कर चिल्ला रही थी, माँ ने उसे अपने आँगन में ही रख लिया था, और एक बोतल से दूध पिला रही थी माँ ने उसका नाम श्यामा रख दिया था, और श्यामा श्यामा बोल बोल कर उसपर हाथ फेरती दूध पिला रही थी.

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