जगत हम को तात कहता है
हम तो वहां ही रुक गए
बस अपने आप को महसूस करते रह गए
लिखा था मेहनत करना तो करते गए
हमारे पुरखो ने वो ही किया और हम भी वही करते चले गए।
मेह्नत से हमें गिला नहीं
कम मिला ज्यादा ऊसका शिकवा नहीं
हमारी कीस्मत से देश बुलंद हैँ
पर हम बून्द बून्द के प्यासे हैं।
न लो हमारा इम्तेहान
हम है आम इंसान
ज्यादा हम बोलते नहीं
और बोलते है तो फिर थकते नहीं।
किस्मत से हम बन्धे है
आँखों से हम अंधे है
जगत हम को तात कहता है
पर कौन हमारी बात सुनता है।
हमने नहीं किया कीनारा
और नहीं लिया कोई नारा
बस गुजरे है दिन मस्ती और ख़ुशी के संग
अब तो पहचानो हमारे रंग।
Saba Rahil Saba Rahil bahut achchi kavita...... Unlike · Reply · 1 · 33 mins
हमने नहीं किया कीनारा और नहीं लिया कोई नारा बस गुजरे है दिन मस्ती और ख़ुशी के संग अब तो पहचानो हमारे रंग।
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Niraj Tomar बहुत सुंदर प्रणाम See Translation Unlike · Reply · 1 · 33 mins