Inda Bharmour Poem by milap singh bharmouri

Inda Bharmour

लानी करा असू
ठार कोई ओर
सबी तोउ प्यारा हा
इन्दा भरमौर

मंदरा री घंटी हुनी
इठी सूरज उग्दा
आरती तोउ बाद होर
कारोबार चलदा

ना रुआ रा परा इठी
ना मना री उजाड़
मनु साफदिल इठी
जियां हिउंया रे पहाड़

चौरासी माँ संजा जैने
पैरा जो रखदे
सो पल तैने जिंया
स्वर्गा सांई लगदे

लानी करा असू
ठार कोई ओर
सबी तोउ प्यारा हा
इन्दा भरमौर

POET'S NOTES ABOUT THE POEM
is kavita me bharmour ki khoobsurti ka varnan kiya gya hai. ye kavita gaddi boli me likhi gayi hai.
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