Hindi Haiku Savera Poem by S.D. TIWARI

Hindi Haiku Savera

प्रातःकी बेला
बच्चों की पीठ पर
बस्ते का बोझ

भोर होते ही
गाय रम्भाने लगी
दूध तैयार

प्रातः सुदूर
ऊपर को उठता
आग का गोला

आज सुबह
सूरज नहीं उगा
घने बादल

खिलखिलाते
गुड़हल के फूल
किरणे देख

होते सवेरा
पक्षी भी उड़ चले
छोड़ बसेरा

सर्दी की भोर
घास के मैदान में
बिखरा पारा

सर्दी में बच्चे
रजाई की गर्मी में
थोड़ा सा और

ठंडा मौसम
जी चाहे घुसे रहें
रजाई में ही

गर्मी में सायं
ठंडक में सुबह
पार्कों में भीड़

प्रातः की ओस
गुलाब की पंखुड़ी
जड़ा मोती

हॉर्न पे हॉर्न
जताता मुझे आता
तुमसे अच्छा

नदी तालाब
चाँद व सूरज का
टूटा दर्पण

हम देखते
दर्पण, वो दिखाता
हमारा मुख

Suर्य सम्मुख
खिलो खिली रहती
सूरजमुखी

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