हवा विषैली
मिठाई जहरीली
खाए दिवाली
छूटें पटाखे
धरा बहाती आंसू
धुएं के पीछे
वही कमाई
बढ़ती महगाई
फीकी दीवाली
बाहर ज्योति
मन भावना काली
कैसी दिवाली
सजे बाजार
अटे पड़े सामान
ढूंढें ग्राहक
दीप जलाओ
फैलाओ खुशहाली
मने दिवाली
देकर आना
निर्धन की भी थाली
मने दिवाली
ज्योति जले
मन होय उजाला
यूँ हो दिवाली
लक्ष्मी आएं
संग खुशियां लाएं
शुभ दिवाली
माँ ने बनाया
मीठा वह ब्यंजन
मुंह में पानी
हर दीप को
मिले उसकी बाती
यूँ हो दिवाली
यादें मनातीं
सीमा पे जवनों की
माँ की deewali
चीन की लड़ी
भारत में मनाती
देखो दिवाली
नन्हे से फूल
फूलजड़ी के बिन
कैसी दिवाली
भाग रहे हैं
दिवाली के दीवाने
लिए मिठाई
धन बरसे
धनतेरस पर
मन हरषे
टाल रखा था
धनतेरस हेतु
बर्तन लाना
पिया ले आये
धनतेरस पर
एक कटोरी
प्याली ही आये
धनतेरस पर
प्रथा निभाए
पत्नी घर में
जवान सीमा पर
दिल दिवाली
स्वयं मिठाई
उन्हें खील बतासा
लक्ष्मी को झांसा
घरों के गले
पहनाया सबने
दीपों की माला
कुछ किरणे
घट भीतर भेजो
सूर्य देवता
मांगे बदले
ज्ञान और प्रकाश
सूर्य को अर्क
गोवर्धन में
नाली में बहे दूध
बच्चे तरसें
गाय की सेवा
बदले पाएं दूध
पुण्य निशुल्क
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