Hindi Haiku 23 Oct Poem by S.D. TIWARI

Hindi Haiku 23 Oct

पास पड़ोस

आग क्यों लग जाती

प्रगति देख

बैठा रो रहा

कौवे ने छीन लिया

हाथ की रोटी

धीमी ही सही

दृढ़ता की द्योतक

चींटी की चाल

गिर कर भी

कुछ सीख देती है

नन्ही सी चीटी

टूटी झोपड़ी

गरीब मुस्कराया

नयी बनेगी

खग हो जाता

समुद्री जहाज का

लोभ में मन



सडकों पर

पटाखों का कचरा

दिवाली बीती



तोपों के गोले

धूल धुएं का मेघ

रक्त की वर्षा



उदंड मत्स्य

लहरों से खेलती

चील का चुग्गा



कभी मेढक

कभी मत्स्य आहार

एक दूजे का



भीतर भोज

पंडाल के बाहर

झांकते बच्चे



खिलौना बंद

दारू की बोतल में

पिता का खेल



बाप ने डाला

गुल्लक पर डाका

नशे की लत



बेटे ने डाला

गुल्लक पर ताला

बाप नसेड़ी



गुल्लक लाये

बचत की आदत

बच्चों में आये



जी भर पिया

दिवाली की चीलम

मेघ नशे में

पीकर बने
ऊँचे ऊँचे भवन
बीड़ी का धुआं

दबा हुआ है
श्रमिकों का पसीना
सड़क तले

छोटे दिखते
विशाल भवनों से
बनाने वाले

धुआं उड़ाते
वे खड़ा कर देते
ऊँचे भवन

छुपा रखा है
देश का इतिहास
खादी का वस्त्र

संजो रखा है
खादी का ताना बाना
गांधी का नाम

खादी भी लड़ी
आजादी का संघर्ष
बन सेनानी

कौन बनाया
एक फुट का वृत्त
अरबो चित्र

साफ़ सफाई
पर्व नहीं कर्त्तव्य
समझो भाई

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