Gazal Poem by Jagjit Singh

Gazal

आंख में अश्क, दहकता हुआ सीना होगा
जब्र यह है कि इसी हाल में जीना होगा

उनसे कह दो कि वो गुफ़्तार का लहजा परखें
बात कहने का भी कोई तो करीना होगा

बज़्म-ए-हस्ती में, सभी जाम उठाने वालो
मौत जब पेश करे जाम तो पीना होगा

जिसकी आंखों के भंवर में है उभरता साहिल
मेरे अनफ़ास को हासिल, वो सफ़ीना होगा

मेरी वहशत का तकाज़ा है कि अब मौत आए
होश कहता हैदिल-ओ-जान से जीना होगा

कौन आएगा भला मरहमे दिल को काफ़िर
ज़ख़्म-ए-उल्फ़त को यहां आप ही सीना होगा

जगजीत काफ़िर

Wednesday, August 28, 2019
Topic(s) of this poem: poems
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