तेरे हाथों की मेहदी... ere hathonki Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

तेरे हाथों की मेहदी... ere hathonki

तेरे हाथों की मेहदी

तेरे हाथों की मेहदी
मेरे दिल में यु ही बसती
जब दिल से खरी तू हस्ती
मुझे चढ़ जाती तेरी खूब मस्ती। तेरे हाथों की मेहदी

तेरे पास एक कला है
जो वरदान तुझे मिला है
अब जीवन में दिखला जा
मेरी सांसो में समाजा। तेरे हाथों की मेहदी

तेरे गालों के खंजन
और आंखोका काजल
जैसे सोहे फूल ग़ुलाब
बस तेरा रूतबा और रुआब। तेरे हाथों की मेहदी

तेरी आँखों की एक झलक
में देखू बारी बारी और उसे उपलक
तू तो है बेफिकरी, मेरी जान से है गुजरी
यही तो है कलाकारी, मुझे पड गयी है भारी। तेरे हाथों की मेहदी.

तूने फिर भी ना सोचा
मुझे दे दिया समुचा
तू दिल से ना जुठ्लाई
यही तो है तेरी सच्चाई। तेरे हाथों की मेहदी.

बस साथ अभी ना छूटे
बंधन हो अनुखा तू कभी ना रूठे
मेरी जान अभी तो अटकी
मेरी पलके हो गयी भीगी। तेरे हाथों की मेहदी.

Saturday, August 30, 2014
Topic(s) of this poem: poem
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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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