दुनिया ने मुझे खूब सताया Duniyaa Ne Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

दुनिया ने मुझे खूब सताया Duniyaa Ne

दुनिया ने मुझे खूब सताया

दुनिया ने मुझे खूब सताया
दिल से जलाया और रुलाया
में आजतक ना जान पाया
ना ही किसी ने मुखे बताया

वैसे में रेहता था शर्माया
दब जाता था जब कीसी ने गुर्राया
में रेहता था मन ही मन गभराया
जब दिल को रास नही आया

'में जलाकर राख कर दूंगा'
'हाथ था गया तो धूल चटा दूँगा '
मन ही मन में गुस्सा आता
मुझे अपने आपसे दुखी कर जाता।

मेरे सपना पूरा हो ना पाया
जो भी पास था वो सब खोया
जीते जी दोजख देख पाया
हालत देख खूब रोना आया


लोग मुझे देख व्यंग में हंस रहे है
माली हालत पे ताने कसते है
में बेचारा किस्मत का मारा
जीते जी हो गया जान से मरा।

दुःख ढोते ढोते में थक गया हूँ
जमाने ने मारा मुरजा गया हूँ
लोगो ने मेरा इन्तेजाम कर दिया है
जाने के सफर को पुरा कर दिया है।

मेरी चिता को आग लगाएंगे
धीर कानमे कहते जाएंगे
'भला मानस, पर कुछ कर नही पाया'
'जाना तो सब को है' पर जान नहीं पाया

दुनिया ने मुझे खूब सताया  Duniyaa Ne
Wednesday, February 3, 2016
Topic(s) of this poem: poems
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 04 February 2016

welcome charu hanu Unlike · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathalal 03 February 2016

welcome Anuradha Choudhary likes this. Unlike · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathalal 03 February 2016

Aasha Sharma Thanks for accepting life's truth with me. Unlike · Reply · 1 · 46 mins

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Mehta Hasmukh Amathalal 03 February 2016

Aasha Sharma Bahut shaandaar likha thank you Hasmukh Mehta ji

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Mehta Hasmukh Amathalal 03 February 2016

दुनिया ने मुझे खूब सताया दुनिया ने मुझे खूब सताया दिल से जलाया और रुलाया में आजतक ना जान पाया ना ही किसी ने मुखे बताया वैसे में रेहता था शर्माया दब जाता था जब कीसी ने गुर्राया में रेहता था मन ही मन गभराया जब दिल को रास नही आया में जलाकर राख कर दूंगा हाथ था गया तो धूल चटा दूँगा मन ही मन में गुस्सा आता मुझे अपने आपसे दुखी कर जाता। मेरे सपना पूरा हो ना पाया जो भी पास था वो सब खोया जीते जी दोजख देख पाया हालत देख खूब रोना आया लोग मुझे देख व्यंग में हंस रहे है माली हालत पे ताने कसते है में बेचारा किस्मत का मारा जीते जी हो गया जान से मरा। दुःख ढोते ढोते में थक गया हूँ जमाने ने मारा मुरजा गया हूँ लोगो ने मेरा इन्तेजाम कर दिया है जाने के सफर को पुरा कर दिया है। मेरी चिता को आग लगाएंगे धीर कानमे कहते जाएंगे भला मानस, पर कुछ कर नही पाया जाना तो सब को है पर जान नहीं पाया

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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