Dil Mera Wo Le Gaya Poem by Upendra Singh 'suman'

Dil Mera Wo Le Gaya

एक ग़ज़ल- दिल मेरा वो ले गया
देखकर उसको लगा जैसे मुझे कुछ हो गया|
होश में आया तो पाया दिल मेरा वो ले गया|

बंद दरवाजे थे सब था रास्ता कोई नहीं|
कातिल अदायें हुस्न ज़ालिम दर्द मुझको दे गया|

मत पूछ मेरा हाल तू बेहाल हूँ मैं ऐ, ‘सुमन'|
दर्द का दरिया समंदर दे गया वो दे गया|

कोई बता दे यार मुझको उस सितमगर का पता|
जिसने छिना चैन मेरा जिस्ते रवानी ले गया|
उपेन्द्र सिंह ‘सुमन'

Sunday, July 13, 2014
Topic(s) of this poem: love
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