Dard Dil Ke Mere Poem by milap singh bharmouri

Dard Dil Ke Mere

दर्द दिल के मेरे


दर्द दिल के मेरे जब से कम हो गये
दुनिया की भीड़ में फिर से गुम हो गये

पहले खुद को जर्रा समझता था मै
दिन क्या बदले फिर से हम हो गये

फिर से हुस्न पर निखार आने लगा
शबनमी होंठ फिर से नम हो गये

फिर से जिन्दगी की तरफ देखने लगे
मर मिटने के खाब बरहम हो गये

फिर से खोने लगा दिल रंगीनियों में
हर हसीन चेहरे अपने सनम हो गये


मिलाप सिंह

POET'S NOTES ABOUT THE POEM
is shayari me milap singh ne insan ki vakt ke sath badl jane ki fitrat ka jikr kiya hai.
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