Change Poem by Ashutosh ramnarayan Prasad Kumar

Change

हमने अपने पीने का अंदाज बदल डाला है
हमने अपने जीने का अंदाज बदल डाला है
अब तो जो भी मिलता है यहीं बात कहता है
हमने उसके सीने में सूरज का उजाला भर डाला है
अब कोई प्यासा नहीं जाता है जो मेरे पास आता है
हमने मोहब्बत का दरियाँ हीं उसके नाम कर डाला है
हमको ये पता नहीं कौन क्या ख़्वाहिश लेते जीता है
हमने सारा आसमान ही उसके दामन में भर डाला है

कौन रंग का कौन आंशिक है किसको पता है
इसलिये सातों रंग ही उसके बदन पर मल डाला है
या खुदा तु कब आ जाएगा माँगने हर पल का हिसाब
हमने पहले हीं पाप पुण्य को दरियाँ में बहा डाला है
जो विष फैलाते घुम रहे थे बेख़ौफ़ हर तरफ़
हमने उनके फन को हीं कुछ येसे कुचल डाला है

Wednesday, August 27, 2014
Topic(s) of this poem: self reflection
COMMENTS OF THE POEM
Gajanan Mishra 28 August 2014

beautiful and fine, thanks my dear poet.

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