चल उस राह पर (CHAL US RAAH PAR) Poem by Nirvaan Babbar

चल उस राह पर (CHAL US RAAH PAR)

चल उस राह पर जिस पर,
पग पग मैं प्रेम, पंख पसारे बैठा हो,

जहाँ हर धर्म को मानने वाले सब,
हाथ पकड़ के चलते हों,

एक के दुःख मैं, सब हों रोते,
सब की ख़ुशी मैं, सब हँसते हों,

भूख लगे जो, राम को तब,
रहीम अपने घर से, खाना लाता हों,

ज़ोसफ के बच्चे को,
हरनाम चलना सिखाता हों,

जहाँ दिवाली पे पहला दिया,
रहीम स्वयं जलाता हों,

हर ईद पर सिवैयां राम स्वयं,
रहीम के मुख लगता हों,

हर बच्चे के नामकरण मैं,
कोई धर्म ना आड़े आता हों,

निर्वान बब्बर

POET'S NOTES ABOUT THE POEM
All my poems & writing works are registered under
INDIAN COPYRIGHT ACT,1957 ©
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success