Chaand Sharmane Laga Hai (Hindi) चाँद शर्माने लगा है। Poem by S.D. TIWARI

Chaand Sharmane Laga Hai (Hindi) चाँद शर्माने लगा है।

चाँद शर्माने लगा है

उनके आते ही, न जाने क्यों, चाँद शर्माने लगा है।
तारों को बिठाके, घर में खुद को, सजाने लगा है।
मौसम का उनके ऊपर, बदले तो कोई फर्क नहीं
ये है कि रूप कई, बदल बदल कर, दर्शाने लगा है।
है ये आदत, में ही शामिल, बदलना रूप उसकी
या कि उनकी, शोख अदाओं से, घबराने लगा है।
होते नहीं कभी भी, हैं पलक से, वो अपनी ओझल
फलक में चाँद, बादलों के पीछे, छुप जाने लगा है।
देखें जो चाहें, देखना चाँद को, आसमानों में ऊपर
हमें तो देखने में, जमीं पर चाँद, मजा आने लगा है।

एस० डी० तिवारी

Monday, June 6, 2016
Topic(s) of this poem: beauty,hindi
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