Apni Manjil Ki Taraf Poem by milap singh bharmouri

Apni Manjil Ki Taraf

अपनी मंजिल की तरफ रुख करें
साँस तो है अभी और कुश चलें

मिल जाएगी जरूर मक्सुदे मंजिल
इरादा कर के अगर तरफ बढें

सारी दुनिया में जो रोशन रहे
आओ दुनिया में काम ऐसा कुछ करे

प्यार में इतना तो लाजमी है मिलाप
दर्द सहते रहे हम और चुप रहें

आने वाला कल ही तो नई आस है
बीते कल का क्यों हम दुःख करें

POET'S NOTES ABOUT THE POEM
Apani manjil ko pane ke liye lagatar kosis karte rahna chahiye.
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success