अनंत अपार है दृष्टिकोण (ANANT APAAR HAI DRISHTIKON) Poem by Nirvaan Babbar

अनंत अपार है दृष्टिकोण (ANANT APAAR HAI DRISHTIKON)

अनंत अपार है दृष्टिकोण,
श्रितिज तो बस शुरुवात है,

हम तो बस एक तीर हैं,
कमान तो उसके हाथ है,

चलना बस काम है अपना,
फल तो उसके हाथ है,

रहे हम कितने भी दूर उस से,
वो सदा है हमारे साथ है,

अनंत अपार है दृष्टिकोण,
श्रितिज तो बस शुरुवात है,

निर्वान बब्बर

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