A-258 मत कर खिलवाड़ तू आँसूओं से Poem by Amrit Pal Singh Gogia

A-258 मत कर खिलवाड़ तू आँसूओं से

A-258 मत कर खिलवाड़ तू आँसूओं से 26.3.17- 3.19 PM

मत कर खिलवाड़ तू आँसूओं से
यह मोती फिर हाँथ नहीं आयेगा
लाख कोशिश करो इसे पाने की
पारा बन के मोती बिखर जायेगा
मत कर खिलवाड़ …………..

बड़ा अदब होता है इन आँसूओं में
एक-एक कर, बारी-बारी आएगा
एक की पारी जब ख़त्म हो जाये
दूसरा अपना चेहरा तब दिखाएगा
मत कर खिलवाड़ …………..

अज़ीब दास्ताँ है हर एक आँसू की
हर हाल में आपका साथ निभाएगा
गम किसी के बिछुड़ने का हो जब
चेहरे को छूता हुआ सरक जायेगा
मत कर खिलवाड़ …………..

आपका गम भली भाँति समझता है
आपका दर्द लोगों तक पहुँचाएगा
आप किस दौर से निकल रहे हैं
हर इंसान खुद ही समझ जाएगा
मत कर खिलवाड़ …………..

किसी की ख़ुशी जब तरतीब हो
तब यह आँखों में चमक लाएगा
गम और ख़ुशी जब मिल रहे हों
कभी आएगा कभी छुप जाएगा
मत कर खिलवाड़ …………..

बड़े नाज़ुक मिजाज होते हैं यह भी
अपना कर्ज यह खुद ही चुकाएगा
बड़े चैतन्य होते हैं बड़े दिल वाले
हर मौके पूरा पूरा साथ निभाएगा
मत कर खिलवाड़ …………..

Poet: Amrit Pal Singh Gogia ‘Pali'

A-258 मत कर खिलवाड़ तू आँसूओं से
Sunday, March 26, 2017
Topic(s) of this poem: educational,emotional,motivational,relationship
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