खौफ Poem by Ajay Srivastava

खौफ

समान्य जन को असामाजिक तत्वों का
व्यापारिक वर्ग को कर अधिकारियो का
राजनितिक नेताओ, अभिनेताओं, पुलिस, जासूसों को
गोपनीय बातो का आम होने का
असामाजिक तत्वों को पुलिस का
सम्बन्धो में विश्वास करने वालो को प्यार के कम होने का

हर कोई खौफ में है
ना चाहते हुए भी खौफ है
क्यों है खौफ
कब अंत होगा खौफ का

Saturday, April 25, 2015
Topic(s) of this poem: awakening
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