उरउपवन Poem by Shobha Khare

उरउपवन

फूल खिलेंगे, फल आएंगे
बस तू आ जा उरउपवन मे
इस मे तुझे बसाने की ही
अभिलाषा है मेरे मन मे


भले नहीं साधना श्रेस्ठ, पर
अनुकंपा होगी जब तेरी
तब क्या खिलते देर लगेगी
परमपिता! फुलवारी मेरी

मेरे उर को छोड़ तुझे अब
नहीं कही भी जाना होगा
यह पवि सा है, इसे मोमवत
तुझ को ही पिघलाना होगा II

Friday, April 24, 2015
Topic(s) of this poem: life
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