वो तो हरदम साथ है, दिन हो चाहे रात
क्या करता है क्या नहीं, कानो मे कह जात
एक द्वार जब बंद हो करना नहीं मलाल
ऊपर बाला खोलता कई द्वार तत्काल
नहीं दोबारा लौटते बचपन के वो साल
क्यो वापिस आते नहीं, गंजे के सिर बाल
ढग सोचने का बदल, यदि है सुख की चाह
शुभचिंतन के असर से दु: ख भरता है आह II
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