जैसे Poem by Ajay Srivastava

जैसे

मंद मंद बहती हवा
जैसे प्रचार तंत्र की शुरुवात का आगास कराती।

चिड़यो की चह-चाहाट
जैसे विभिन्न विज्ञापनोँ की अनुभूति कराती।

कोयल की कुह कुह का स्वर
जैसे सुर गीत माला कार्यक्रम का एहसास दिलाती है।

गुटर-गु करता हुआ कबूतरो का समूह
जैसे शांति वार्ता करता हुआ विशेषज्ञों का समूह।

हिरणो का दौड़ता हुआ जुंड
जैसे तेज़ और फटाफट आती हुए समाचार।

आकाश में स्वछंद उड़ते पक्षी
जैसे वास्तविकता प्रदर्शन प्रतियोगिता में भाग लेते खिलाडी।

पानी में नहाता हाथीओ का समूह
जैसे निर्गम मतानुमान पर आते परिणाम।

विश्राम करता हुआ शेर
जैसे अगला कार्यक्रम अपना प्रभाव दिखाने को तत्पर।

एक वृक्ष से दूसरे वृक्ष बैठते पक्षी
जैसे एक विषय से दूसरे विषय पर चर्चा करते हुए विशेषज्ञ।

लम्बी छलांगे लगते हुए वन मानुस
जैसे बाजार मूल्यों का सचकांक।

जैसे
Saturday, November 21, 2015
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