आओ के सूरज को कैद करे Poem by Dr. Ravipal Bharshankar

आओ के सूरज को कैद करे

आओं के सूरज को कैद करें
बिमार का इलाज जैसे बैद करें

सूरज जीवन देने वाला
सूरज ने ही हमको पाला
लेकिन ये सूरज भी है मिटने वाला
तब फिर कहाँ हम ढूंडेंगे उजाला
खुद ही को रोशन हम ऐसा करें
बिमार का इलाज जैसे बैद करें

आओं के सूरज को कैद करें
बिमार का इलाज जैसे बैद करें

(डॉ. रविपाल भारशंकर)

Monday, December 29, 2014
Topic(s) of this poem: meditation
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