धुन सवार ले Poem by Dr. Ravipal Bharshankar

धुन सवार ले

धुन सवार लें, इम्तहान दे
दृढता से मंज़िल को अंजाम दे

रूकना नही कभी राहों में, आँधी और तूफानों में
खुद अपना दीपक बनकर, तु जीवन को रोशन कर
मेहनत के आसूँ असरदार हैं, खुशियों में अश्कों का श्रृंगार हैं
धुन सवार ले, इम्तहान दे

फूलो से खुशबू चुराना नही,
सच्चाई से तु मुकरना नही
लूट जाने से पहले लूटेरा ना बन,
झुकने से पहले हो ताकत करम
तेरे जेहन में जो सवाल है,
धडकन का जिवन से वो प्यार है
धुन सवार ले, इम्तहान दे

सपने सजाना तु ईमान से,
हर काम कर अपनी पहचान से
नफरत भी रख दिल में चाहत भी रख,
सबको निगाहों में इंसान रख
ना कर हूकुमत तू सरताज है,
परमात्मा की तु आगाज है
धुन सवार ले, इम्तहान दे

(डॉ. रविपाल भारशंकर)

Monday, December 29, 2014
Topic(s) of this poem: love
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