जल Poem by Ajay Srivastava

जल

हिमालय शिखर से निकलता शांत और निर्मल बहता जल
ऊचे नीचे पहाड़ो से टकराकर गिरता और एक विशाल
नदी के रूप में परिवर्तित होता हें
सबको यह सिखाती मुश्किल से मुश्किल समय
में अपनी मजिल को कैसे पाना हें11
सभी को सेवा भाव के शिक्षा देती हें
सबकी प्यास बुजाती हें
क्या मानव और पेड़ पोधो
सबको संतुष्ट और हरयाली फहलाती हें11
आओ हम सब मिल कर प्रण करे
नदी को प्रदूषित करने वालो को रोके
और उनके इसकी महत्वता बतये
इसको साफ एवं पवित्र रखे11

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