मेरे रब मेरे ही होना! Poem by Aftab Alam

मेरे रब मेरे ही होना!

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मेरे रब मेरे ही होना!
तू नहीं तो किसके संग होना,
तू ही बसा मन सागर में,
भर लो तुम अपने गागर में,
कहाँ जाऊँ, जाऊँ किस कोना?
सामने सब के नहीं है रोना,
मेरे रब मेरे ही होना,
तू नहीं तो किसके संग होना,

आस भी तू, विश्वास भी तू,
अंधकार में मेरा प्रकाश भी तू,
मैं पापी तू बख्शनहारा,
मुझको बनाले अपना दुलारा,
तेरे सिवा नहीं किसी का होना,
तू ही जाने कब तक है जीना,
आना मुझको पास है आना,
तेरे सिवा कहाँ है जाना,
मेरे रब मेरे ही होना,
तू नहीं तो किसके संग होना!

Tuesday, September 16, 2014
Topic(s) of this poem: prayer
COMMENTS OF THE POEM
Akhtar Jawad 16 September 2014

Ameen. a nice prayer.

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RANCHI,
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