गर साज छेडो; तराना जीवन हैं Poem by Dr. Ravipal Bharshankar

गर साज छेडो; तराना जीवन हैं

Rating: 5.0

मंजर हैं ये; मुहब्बत का प्यारे,
हरदम ना तु अपने; आँसु बहा रे.
सोहबत सयानो में; जिंदा दिलदारों में;
दिल के झरोके से; सपनों की राहो में,
गर साज छेडो; तराना जीवन हैं.

दिल में शरीक तेरे; दिलबर करीब तेरे,
तु मन का मीत तेरे; दुश्मन गरीब तेरे.
वादों हीं वादों में; दिन हो या रातों में,
दिल के झरोके से; सपनों की राहो में,
गर साज छेडो; तराना जीवन हैं.

रंग तेरे रीत तेरी; संग तेरे प्रीत तेरी,
अंग तेरे नीत तेरी; जंग तेरी जीत तेरी.
यादो हीं यादों में; नम हो या बातो में,
दिल के झरोके से; सपनों की राहो में.
गर साज छेडो; तराना जीवन हैं.

Saturday, September 13, 2014
Topic(s) of this poem: life
COMMENTS OF THE POEM
Akhtar Jawad 15 September 2014

A beutiful poem, nice thoughts, nice words. Rang tere reet teri, sang tere preet teri, Ang tere neet teri, jang teri, jeet teri

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