या रब इतनी अर्ज़ी तो मेरी मंजूर कर दे
मुझे रंज औ गम की महफ़िल से अब दूर कर दे
इन पलकों पे अब कोई सुनहरे ख़्वाब न देना
मेरे जिम्मे किसी की मिल्किअत - ए - आब न देना
टूट हीं तो जाते है सारे, अरमां दिल के हीं भीतर
मेरे ह्रदय में भावनाओं की अब सैलाब न देना
मेरे ख़यालों के शीशें को तू चकनाचूर कर दे
मुझे रंज औ गम की महफ़िल से अब दूर कर दे
मेरे मुकद्दर ने मुझसे सबकुछ छीना है
कहा बंट कर टूकरो में हर पल अब मुझको जीना है
बनेगी गरल जिंदगी का अब हर एक लम्हा
समझ कर अमृत का प्याला इसे, मुझको पीना है
जिंदगी रुसवा हो जाये, मुझे इतना रंजूर कर दे
मुझे रंज औ गम की महफ़िल से अब दूर कर दे
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