अनुशासन Poem by Sushil Kumar

अनुशासन

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नशे में झूमते पुलिस-दीवान ने,
थाने की चार-दीवारी पर,
सूक्तियां लिख रहे पेंटर को,
अगली सूक्ति सुझाई।
लिख मेरे भाई।
अनुशासन ही देश को,
महान बनाता है।
इसी-बीच,
ट्राफिक नियमों की सारी सीमाएं लांघता,
भूसे से भरा एक ट्रक आया।
सिपाही ने बेरियर गिराया।
ट्रक ड्राइवर ने,
सौ रूपए का एक नोट,
खिड़की के बाहर लहराया।
दीवान लड़खड़ाता हुआ,
थाने से बाहर आया,
और नोट थामता हुआ,
जोरों से चिल्लाया।
लिख दे- ' रिश्वत लेना पाप है।'
इधर ट्रक-ड्राइवर को आँख मारी,
निकल जा...रास्ता साफ है।
तभी, पास खड़े सब-इंस्पेक्टर ने,
दीवान का हाथ आ पकड़ा,
दीवान नशे में था, अकड़ा।
इंस्पेक्टर बोला- दीवान जी,
पेंटर से एक बात और लिखवाओ।
राष्ट्र की संपत्ति में सबका समान अधिकार है,
मिलबांट कर खाओ।
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