तुहि हेँ Poem by Biplab Singha

Biplab Singha

Biplab Singha

Dohaguri, Kharibari, Darjeeling, West Bengal

तुहि हेँ

तुमहि तो हेँ मेरे जिन्दगी मेँ चलने कि राहे।
तुमहि तो हेँ बो जिसने मेरे जिन्दगी मे दीप जलाये।
अगर तुम ना होते तो मेरे जिन्दगी फटे कागज कि तरह टुकरे टुकरे हो जाते।
तुम हि मुझे प्यार दिया जिन्दगी के हर पल मे जिने के लिये।
सबको ही मिलना चाहिये तुमारी तरह जीबनसाथी
यो किसी के जिन्दगी को हजारों खुशियों से भर देते हे।

Friday, May 9, 2014
Topic(s) of this poem: Love
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
मे हिन्दि जानता हु लिकिन मेरे लिखन मे बहत सारा spelling गलत हें। अगर आप हिन्दि जानते हेँ तो मुझे मेरे त्रुटि से अबगत करायें।
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