अग्नि Poem by Ajay Srivastava

अग्नि

पवित्र हो तुम
तुम विश्वास हो
तुम दुश्मन को
रोकने में सक्षम हो

तुम सच के आगे
मस्तक झुकती हो
तुम सब बुराई को
अपने में समां लेती हो

तुम ऊर्जा हो
तुम्ही से जीवन है
तुम प्रतिक भी हो
तुम्ही श्रद्धेय हो

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