लहरो का अस्तित्व Poem by Ajay Srivastava

लहरो का अस्तित्व

समुद्र की लहरो से हमने पूछा
किनारो को छूने को क्यों आतूर है?
जब लोट के वापस जाना है
लहरो ने मासूमयीत के साथ बोला
कुछ ले के जाना है कुछ दे के जाना है 11

हमसे रहा न गया हमने पूछा
अखिर क्या ले जाना है या दे जाना है
लहरो ने जबाब दिया
हर समय प्रयास रत रहने की सीख
चन्द मोती तुम्हारी झोली मे डाल देना है
तुम्हारे पैरों की धूल की तरह अन्य कचरे ले जाना है 11

लहरो से हमने पूछा
फिर तुम कीमत क्या लोगी
लहरो ने मासूमयीत से जबाब दिया
तुम मनुष्य के लिए कीमत - सब कुछ है कीमत ही संसार
हमारे संसार में कीमत का कोई अस्तित्व नहीं है 11

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