तराजू Poem by Ajay Srivastava

तराजू

ऐसा क्यों कर होता है
पहले दोष निकालते है
तकलीफ देते है
और फिर सूली पर चडा देते है
बाद मे नादान बन कहते है
हम गलत थे 11

पूजा करने या फिर याद करने से
तकलीफ कम तो नही होती है 11

ऐसा एक बार नही होता है
बार बार होता है
प्राचीन काल मे हुआ
आधुनिक काल मे भी हो रहा
केवल तरीका बदल गया है 11

कुछ भी करने से पहले तराजू मे
अच्छे और बुरे कारण को तोल ले 11

COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success