भारत Poem by Ajay Srivastava

भारत

भाव तो दिल मे है,
ना जाने कब वह साकार रुप लेगे
भय को पीछे कर कब हम यह कह सकेगे
बंद करें लोगो की धार्मिक भावनाओ से खेलना 11

रात यह 64 वर्ष पुरानी है
पर हम आज भी असफल है
इस रात की सुबह लाने मे
हम क्यों नही कह और कर सकते
भ्रष्टाचार को हटा कर
ईमानदारी को ला कर रहेगे 11

तकदीर हमार देश की हमने ही बनाना है
विश्व चांद पर पहुँच गया है
हम चांद पर नही तो
आकाश पर उडने की सही कोशिश कर सकते है
और सही अर्थ मे भारत दर्शन का करा सकते है 11

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