ए माँ मुझे भी आने दे (कन्या भ्रूण हत्या पर आधारित) Poem by Anoop Pandit

ए माँ मुझे भी आने दे (कन्या भ्रूण हत्या पर आधारित)

बेटी: ए माँ मुझे भी आने दे तेरी ममता के संसार में
तूने भी तो दर्द सहा है मेरे इंतजार में

माँ: बेबस हूँ मै मेरी लाडो कुछ भी नहीं कर पाउंगी
माफ़ मुझे तू करदे तुझको जनम नहीं दे पाउंगी

बेटी: तुझको भी ए माँ कोई तो इस दुनिया में लाया था
तूने भी तो बेटी बनकर जन्म यहीं पर पाया था
फिर मै क्यों नहीं ले सकती हूँ साँसे इस संसार में
तूने भी तो दर्द सहा है मेरे इंतजार में।

माँ: ताने दे दे कर ये दुनिया मुझको रोज सताएगी
फिर भी मेरी लाडो उनसे तू नहीं बच पाएगी
जान देकर भी मै तेरी रक्षा नहीं कर पाउंगी
माफ़ मुझे तू करदे तुझको जनम नहीं दे पाउंगी।

बेटी: ये दुनिया की रीत है कैसी बेटी को दुत्कार रहे
जन्मी नहीं जो अब तक उसको गर्भ में ही मार रहे
छुपा लेना मैया मुझको अपने आँचल और दुलार में
तूने भी तो दर्द सहा है मेरे इंतजार में।

माँ: आँचल है छोटा सा लाडो तू उसमे समा ना पायेगी
कुछ ही छनो में बेटी तू मुझसे दूर कर दी जायेगी
चाह कर भी मै तो तेरे पास नहीं रह पाउंगी
माफ़ मुझे तू करदे तुझको जनम नहीं दे पाउंगी।

बेटी: इस तरह तो दुनिया से ए माँ, बेटी ख़त्म हो जायेंगी
फिर अपने बेटों के लिए यहाँ बहुएं कहाँ से आएँगी
बिन माँ के फिर कौन बनेगा बाप इस संसार में
तूने भी तो दर्द सहा है मेरे इंतजार में ।

माँ: सब को पता है फिर भी सब इस सत्य से अनजान है
बेटी से ही तो इस जग में संचरित होते प्राण है
जन मानस में इस चेतना को यदि मै ला पाउंगी
मुझे आशा है बेटी मै तुझको अवश्य जनम दे पाउंगी

बेटी: जाती हूँ मै वापस मैया तज कर तेरे धाम को
लेकिन श्राप ये देती हूँ मै पुरुषों के नाम को
गर ख़त्म ये कुरीति नहीं करेंगे पुरुष अपने व्यवहार में
कोई न उनको ला पायेगा वापस इस संसार में

ना माँ ना मुझे नहीं आना इस पुरुषों के संसार में
तूने व्यर्थ ही दर्द सहा है मेरे इंतजार में ।

POET'S NOTES ABOUT THE POEM
बेटी बचाओ, संसार बचेगा।

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अनूप शर्मा 'मामिन'
COMMENTS OF THE POEM
Manon kumar 28 October 2018

This tell so much amount of news about our lives

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