आओ मिलकर रोयें हम Poem by Anoop Pandit

आओ मिलकर रोयें हम

जो चले गए केदार उनके हाल पे रोयें
जिन पर पड़ी वक़्त की मार, उनके हाल पे रोयें।
बहुगुनाजी चले अकड़ कर
सोनिया जी का हाथ पकड़ कर
उत्तराखंड में हा हा कार उनके हाल पे रोयें
जिन............
राहुल का उड़ा उड़न खटोला
गूंजा उदघोष जय बम बम भोला
ये कांग्रेस का है शाहकार उनके हाल पे रोयें
जिन पर............
मोदी हाथ बढ़ा कर पहुंचे
गुजराती चमक दिखा कर पहुंचे
ये हैं कमल के जलवा कार उनके हाल पे रोयें
जिन पर..............
गाँव के गाँव तबाह हुए है
उजले चेहरे स्याह हुए है
सबके दिलों में है गुबार उनके हाल पे रोयें
जिन पर.................
रकम लुट रही बीच बज़रिया
रसद न पहुंची एक नगरिया
सवार है सेना पर सरकार उनके हाल पर रोयें
जिन पर...........
मृत शरीर पहचान खो चुके
घरवाले हलकान हो चुके
हो रहा सामूहिक संस्कार उनके हाल पे रोयें
जिन पर...........
उजड़ी कोखें मांगे उजड़ी
चारों ओर है लाशें बिखरीं
मंदिर में शवों के अम्बार उनके हाल पे रोयें
जिन पर..............
टूटी नगरी छूटी आशा
फैली है हर ओर निराशा
हुआ गंगा का रौद्र अवतार उनके हाल पे रोयें
जिन पर................
पर्वत भी मैदान बन गए
मंदिर ही शमशान बन गए
चेतो, कुदरत का है प्रहार उनके हाल पे रोयें
जिन पर............
अभी कुछ नहीं बिगड़ा है
बेशक आज चमन उजड़ा है
लगाओ पौधे दो दो चार, चलो आज खुशियाँ बोयें
कुछ ऐसा करे हम आप कि फिर से हम ना रोयें ।


अनूप शर्मा 'मामिन'

POET'S NOTES ABOUT THE POEM
16जून 2013 की त्रासदी ने मुझे झकझोर दिया ।प्रभु से प्रार्थना है की ऐसी त्रासदियों से मेरे हिन्दुस्तान को बचाए रखें ।
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