इंतज़ार Poem by Jaideep Joshi

इंतज़ार

महफ़िल वो सजा लूं जो हो रश्क-ए -ज़माना।
मुझको है इंतज़ार नायाब नज़्मात का।।

नज़्में वो कह डालूं जो रौशन करें हर बज़्म।
मुझको है इंतज़ार चंद शेरात का।।

शेर पुर असर करूं अर्ज़ खिदमत में आपकी।
मुझको है इंतज़ार माकूल ख्यालात का।।

ख्याल भी आ जाएंगे ज़ेहन में यकीनन।
मुझको है इंतज़ार कुछ तज़ुर्बात का।।

तज़ुर्बों की कौन है किल्लत यहाँ 'बेलाग़'?
मुझको है इंतज़ार बस अहसास-ए-प्यार का।।

प्यार के जज़्बे से तो लबालब है ये दुनिया।
मुझको है इंतज़ार एक अदद दिलदार का।।

COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success