शिकायततो बहुतहैतुझसे, परकरूकैसे?
शिकायतकरनेका हकतो दिया हीनही!
तेरे यादो के भूलभुलैया से, सोचा लौट चलूं अब।
कमबख्त खूबसूरत लम्हों ने लौटने दिया ही नही!
तेरे खाबों में जीना चाहता हूँ, कुछपल ही सही।
कई बरसात बीत गए तूने इजाजत दिया ही नही!
जिश्म के बदले, मोहब्बतजोमिल रही हैं यहां।
रूह वालीमोहब्बत कोतवज्जोदिया ही नही!
ईश्वर, अल्लाह और भगवान, जोड़िजो बनता है।
क्यामजहबकेबाहर कोशिशकियाही नही?
शिकायत तो बहुत है तुझसे.........................!
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