ये जीवन है, प्यार, प्यार, प्यार। Poem by C. P. Sharma

ये जीवन है, प्यार, प्यार, प्यार।

प्रिये,
कहीं तुमसे
हमें प्यार न हो जाए! ! !

फिर प्यार में
कोई मीठी सी
तकरार न हो हो जाए

ओस के
ये सुखद मोती
हवा बन न उड़ जाए

ये तकरार
कहीं विरह की
कट्टार न बन जाए

प्यार ऐसा कर
कि इसकी लम्बी ड़ोर
कहीं टूट न पाए

ड़ोर टूट के
ये ज़िन्दगी कहीं
कटी पतंग न बन जाए

इसलिए
प्यार ऐसे कर
जो निराकार से हो जाए

एक बार
गर हो जाए
तो फिर ये टूट न पाए

Pic courtesy: Bobita Saikia

ये जीवन है, प्यार, प्यार, प्यार।
Monday, February 27, 2017
Topic(s) of this poem: love
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C. P. Sharma

C. P. Sharma

Bissau, Rajasthan
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