हम बांसुरी के रूप में हैं Poem by M. Asim Nehal

हम बांसुरी के रूप में हैं

Rating: 5.0

Original Poem: We are as the flute
By: Maulana Jalaluddin Rumi

Hindi Translation: हम बांसुरी के रूप में हैं

By: Mohammed Asim Nehal

हम वो बांसुरी है जिस से निकलते संगीत के स्वर तुम्हारे हैं
हम वो धरा पर खड़े परबत है जिसमे गूंजते स्वर तुम्हारे हैं

हम वो मोहरे हैं जो शतरंज की बिसात बिछे विजय और पराजय में लिप्त हैं:
जिसकी विजय और पराजय सिर्फ तुम्ही से है
और एक का होना निश्चित है

हम कौन है? हमारे आत्मा की प्रतिबिम्ब क्या है?
क्या हमें तेरे पास नहीं होना चाहिए?

हम और हमारा अस्तित्त्व वास्तव में कुछ भी नहीं!
और तुम सम्पूर्ण हो जो न नष्ट हो, पर नष्ट करे

हम कैसे शेर हैं, जो सिर्फ कागज़ के बने हैं
और हवा से भाग रहे हैं यहाँ से वहां

आगे भीड़ तो है, पर पीछे की हवा नज़र नहीं आती
कैसा भ्रम है, कैसी मिथ्या है?

ये हवा जो हमें चला रही है, तेरा ही कहना मान रही है
और हमारा अस्तित्व भी जो तेरे वश में है

This is a translation of the poem We Are As The Flute by Mewlana Jalaluddin Rumi
Monday, November 21, 2016
Topic(s) of this poem: life,philosophical
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 03 April 2017

मौलाना रूमी की कविता का हिंदी रूपांतरण इतना खुबसूरत हुआ है कि लगता है हम मूल कविता ही पढ़ रहे हैं. आपके अनुवाद कलात्मक हैं तथा मूल कविता के एक दम निकट हैं. इस उपलब्धि पर आपको बधाई भी और मेरा धन्यवाद भी.

2 0 Reply
Akhtar Jawad 22 November 2016

A nice translation of a wonderful poem by great sufi poet.

2 0 Reply
M. Asim Nehal

M. Asim Nehal

Nagpur
Close
Error Success