Original Poem: We are as the flute
By: Maulana Jalaluddin Rumi
Hindi Translation: हम बांसुरी के रूप में हैं
By: Mohammed Asim Nehal
हम वो बांसुरी है जिस से निकलते संगीत के स्वर तुम्हारे हैं
हम वो धरा पर खड़े परबत है जिसमे गूंजते स्वर तुम्हारे हैं
हम वो मोहरे हैं जो शतरंज की बिसात बिछे विजय और पराजय में लिप्त हैं:
जिसकी विजय और पराजय सिर्फ तुम्ही से है
और एक का होना निश्चित है
हम कौन है? हमारे आत्मा की प्रतिबिम्ब क्या है?
क्या हमें तेरे पास नहीं होना चाहिए?
हम और हमारा अस्तित्त्व वास्तव में कुछ भी नहीं!
और तुम सम्पूर्ण हो जो न नष्ट हो, पर नष्ट करे
हम कैसे शेर हैं, जो सिर्फ कागज़ के बने हैं
और हवा से भाग रहे हैं यहाँ से वहां
आगे भीड़ तो है, पर पीछे की हवा नज़र नहीं आती
कैसा भ्रम है, कैसी मिथ्या है?
ये हवा जो हमें चला रही है, तेरा ही कहना मान रही है
और हमारा अस्तित्व भी जो तेरे वश में है
मौलाना रूमी की कविता का हिंदी रूपांतरण इतना खुबसूरत हुआ है कि लगता है हम मूल कविता ही पढ़ रहे हैं. आपके अनुवाद कलात्मक हैं तथा मूल कविता के एक दम निकट हैं. इस उपलब्धि पर आपको बधाई भी और मेरा धन्यवाद भी.