चेहरा देखता हूँ ख्यालों में अपने Poem by NADIR HASNAIN

चेहरा देखता हूँ ख्यालों में अपने

चेहरा देखता हूँ ख्यालों में अपने
वह हर पल मुझे याद आने लगी है
कभी उसकी बातें कभी उसकी यादें
मेरे दिल को बेहद लुभाने लगी है
चेहरा देखता हूँ.....................

जवां है हसीं है वह है खूबसूरत
मेरी आरज़ू वह वही है ज़रुरत
मैं देखूं जिधर भी जहाँ से मैं जाऊं
नज़र हर जगह मुझको आने लगी है
चेहरा देखता हूँ.....................


बहुत ही है प्यारी वह दिल की शिकारी
मेरी ज़िन्दगी वह वही है ख़ुमारी
दिन है गुज़रता ना ढलती है रातें
मुझे नींद में भी सताने लगी है
चेहरा देखता हूँ.....................


वही ज़िन्दगी अब वही मेरी जां है
मेरे यार मेरी अजब दास्ताँ है
वह लेती है साँसें तो रहता हूँ ज़िंदा
लहू बनके नस में समाने लगी है
चेहरा देखता हूँ.....................


: नादिर हसनैन

चेहरा देखता हूँ ख्यालों में अपने
Saturday, August 8, 2015
Topic(s) of this poem: love
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