सर्वत्र मुझ से मिलो Poem by C. P. Sharma

सर्वत्र मुझ से मिलो

जन्मदिन की बधाई मैं किस किस को दूँ
किस किस के मरने पे दुःख इज़हार करूँ

सालों पाहिले जो पैदा हुआ, वो मैं था
जो जनाज़ा निकल रहा है, वो भी मैं हूँ

गम-ओ-खुशियां लिए, मृगतृषणा हूँ मैं
कभी ईसामसी और कभी कृष्ना हूँ मैं

न मेरा जन्म होता है, न ही मरता हूँ मैं
स्वसंकल्पित संसार में भटकता हूँ मैं

मेरे असंख्य स्वरूपों का आनंद लो
इस मेले में सर्वदा तुम मुझ से मिलो

सर्वत्र मुझ से मिलो
Sunday, November 20, 2016
Topic(s) of this poem: immortality,mirage,soul,spirituality
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C. P. Sharma

C. P. Sharma

Bissau, Rajasthan
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