तुम हो - माध्यम Poem by Ajay Srivastava

तुम हो - माध्यम

प्रेम के एहसास का माध्यम तुम हो।
जीवन की सरगम तुम हो।
दूरियों को कम करने का साधन तुम हो।
सब के साथ होने की आशा हो तुम।

पल पल की आवश्यकता हो तुम।
भेदभाव हीन भाव को दूर करने में सक्षम हो तुम।
बहुत ही सरल हो तुम।
हर किसी को अपना बना लेती हो तुम।

अन्य के लिए भी दिल में जगह बनाने वाली वो तुम हो।
क्यों की सम्पर्क का माध्यम तुम हो।

तुम हो -  माध्यम
Wednesday, September 14, 2016
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