भारत के अमर जवान Poem by Rakesh Sinha

भारत के अमर जवान

सियाचेन के हिमस्खलन में दफ्न हो गये दस भारतीय जवान,
अनगिनत शहीदों की फेहरिस्त में दर्ज करा गये अपना नाम,
लहू को जमा देनेवाली और हड्डियों को गला देनेवाली ठंढ में
जो करते हैं सियाचेन में हमारी सीमाओं की रक्षा,
उन वीर भारतीय सैनिकों को मेरा सलाम |
देश की रक्षा के लिये हरदम मर-मिटने को रहते हैं तैयार ये जाबांज,
हरेक भारतवासी को है अपने इन सूरमाओं पर नाज |
कर जाते हैं अपनी माँ की गोद सूनी,
पिता की छाती हो जाती है गर्व से दूनी,
मिट जाता है पत्नी का श्रृंगार,
और नन्हे बच्चों से छिन जाता है पिता का प्यार |
मत भूलो की इन्हीं रणबांकुरों के बल पे
हमारी सरहदें हैं महफूज़,
इनके लिये न कोई ईद-दिवाली और न भाई-दूज |
हमारे नेताओं और हरेक भारतवासी का बनता है ये फर्ज़,
ऐसी करें व्यवस्था कि शहीदों के परिवार को मिले
उचित देखभाल और सम्मान,
क्योंकि हम कभी नहीं चुका सकते
इन अमर शहीदों के लहू का कर्ज़ |
जय हिंद ||

Friday, January 20, 2017
Topic(s) of this poem: army,bravery,indian,patriotism,soldiers
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