समय - अस्तित्व Poem by Ajay Srivastava

समय - अस्तित्व

वो जो किसी का आदेश नहीं सुनता ।
वो जो सबको बेबस कर देता है ।
वो जो सबको अपने पीछे भगाता है ।
वो जो कभी भी नहीं रुकता।

वो जो है अच्छा और बुरा भी है ।
इससे स्पर्धा करना बहुत मुश्किल है ।

यही हम सबको शिक्षा दे जाता है ।
यही हम सब को सचेत भी करता है।

यह अपने पीछे यादे छोड़ जाता है ।
समय के आगे सर झुकाना ही पड़ता है।

समय - अस्तित्व
Thursday, July 28, 2016
Topic(s) of this poem: time
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Ajay Srivastava

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