हम तो आये थे तेरे दर, Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

हम तो आये थे तेरे दर,

हम तो आये थे तेरे दर,
प्यार का इक झलक पाने,
तुमने मुझे समुँदर दिखा दिया।
सोचा मन में, एक बूँद हलक भर लूँ,
तुमने अपनी बाहों में भर,
जी भर नहा दिया।।
हम तो नजर भर देख न सके तुमको,
आँसुओं ने मेरे, तुमको छिपा दिया।
देख रहे थे बन अपलक अपनी नजर से तुम,
इस प्यार भरी निगाह ने "नवीन"रुला दिया।

Tuesday, November 14, 2017
Topic(s) of this poem: love
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